तुम्हें याद करने की मुझे आदत हो गई है। तुम से मिल कर ये जिंदगी सलामत हो गई है। मेरी आरजू का ये ही दस्तक है अब तुम्हें, तुम से अब फिर से सच्ची मोहब्बत हो गई है। मोहित P
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