गुरुदेव चरणों मे हम शीश झुकाते है।
शब्द सुमन अर्पण चरणों मे लुटाते है।।
गुरुदेव मेरी नदिया को भव पार करो।
मुझे भी अपनी चरणों मे स्वीकार करो।।
तुम ही मेरी दिव्य ज्योति को अब जला दो
चरण मे लगा कर तुम भी अपना बना लो।।
वंदना से मिटे हमारा ये अंधकार।
अब तो तुम भी करो हमारा भी उद्धार।।
में तो ये विनती करू जोड़ दोनों हाथ
ये गुरुदेव निभाना सुख दुख में तुम साथ।
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