" बचपन"
एक बचपन का जमाना था
नही कोई भी ठिकाना था
कहाँ पर रहना कहाँ जाना
सब के सामने बहाना था।।
ये उम्र कब अब डल गई है
जिंदगी अब कब चल गई है
वो बचपन तो मस्ताना था
अब वो यादें निकल गई है।।
बचपन आज याद आता है
हर मौसम हमको भाता है
बचपन अब वो नही रहा है
आज खुशिया कहाँ लाता है।।
मोहित जागेटिया
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