लेख
"विचारों का दान"
दोस्तों चुनावी माहौल है। चुनावी चर्चायें जोर शोर से हो रही है।होनी भी चाहिए ये लोकतंत्र का महापर्व है।सब लोग अपनी अपनी विचारधाराओं वाली पार्टी या उनके नेता हो के साथ लग रहें है होना भी ये ही चाहिए।
समान विचारधारों वालो के एक समान विचार एक होते है।
लड़ाई हमेशा विचारों की,तर्क की होनी चाहिए।लेकिन कभी आपसी लड़ाई नही होनी चाहिए।व्यतिगत लड़ाई कभी नही होनी चाहिए।लेकिन आज कल चुनावों में आपसी लड़ाई भी बहुत होती है।
ये मतदान होता है अपना तर्क या अपने विचारों का दान होता है लेकिन लोग इसको भूल जाते है।चुनाव क्या है?
चुनाव विचारों की लड़ाई है।विकास तो हर सरकार करती आई है और विकास होता आया है और होता रहेगा।लेकिन कौनसी पार्टी किस विचारधारोंओ की है ।हमारे विचार उनसे मिलते है या नही मिलते है।ये बात भी अपने विचारों का दान करते समय देखना चाहिए।ये ही हमारा सही मतदान होता है।
मोहित जागेटिया
Wednesday, November 28, 2018
लेख विचारों का दान
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