तुम जैसे भी वैसे तुमको में स्वीकार करू। मैं नदी किनारें हर रोज अब इंतजार करू। तेरी मोहब्बत की कश्ती में डूब कर आज, मैं बाँहों में भर लूँ तुझको आओ प्यार करू।। मोहित जागेटिया
No comments:
Post a Comment