" मोहब्बत का समंदर बन जाऊँगा"
इन यादों के संग मैं मोहब्बत का सफर बन जाऊँगा।
निगाहें देखी जिसको भी मैं तो वो नजर बन जाऊँगा।।
चलना है जिंदगी के सफर में एक रोज सुबह से शाम,
जहाँ जहाँ बस्ती बस जाएगी मैं वो घर बन जाऊँगा।।
पता नही जिंदगी की गाड़ी किस मोड़ पर कहाँ चलेगी,
छोड़ कर सारी बातें कभी गाँव से शहर बन जाऊँगा ।।
मेरे रास्ते,मेरी मंजिल ही मेरा रोज सफर होगी,
मेरा विश्वास ही है आज इधर कल उधर बन जाऊँगा।।
ये पता नही जिंदगी का मोड़ कौन सा आखरी होगा,
लेकिन मैं तो प्यार मोहब्बत का समंदर बन जाऊँगा।।
मोहित जागेटिया
भीलवाड़ा (राज)
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