Wednesday, August 22, 2018

बन्धन स्वीकार नही


अगर प्यार में बंधन है वो प्यार बेकार है
मिल नही पाते तो उस प्यार की ये हार है।
ये जीवन साथ बिताने का वादा करते थे
हर पल कभी मेरे प्यार पर तुम जो मरते थे।
प्यार की राह में अब ये कैसा अनुबंधन है
ये अनुबंधन है तो हमारा क्या सम्बन्ध है?
तेरी मेरी सासों की डोर का ये तार है
मत तोड़ो इस डोर को ये जीवन बेकार है।
तुम्हारे बिना कभी जीवन नही पार होगा
प्यार में कभी भी बंधन स्वीकार नही होगा।
तुम ऐसे अलौकिक प्रेम को अब दर्शन देना
प्यार की दिव्य ज्योति जले आज वो गगन देना
मत करना कभी अपने दिल की धड़कन से दूर
कभी नही करूँगा किसी बात पर मैं मजबूर।।

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