Monday, May 25, 2020

मेरे गीतों का श्रृंगार हो

मेरे गीतों का श्रृंगार हो तुम।
मेरे शब्दों का अंगार हो तुम।
जिस धड़कन से सासों में पिरोया,
मेरा सच्चा वो संसार हो तुम। ।
​©मोहित जागेटिया

No comments:

Post a Comment