Thursday, May 7, 2020

मुश्किल का ये दौर निकल जायेगा

कभी सोचा नहीं था
जिंदगी में मेरे भी 
ऐसे दिन आएंगे ?
कभी सोचा नहीं था
वो ऐसे बदल जाएंगे ?
बीच राह में सफ़र
छोड़ कर जाएंगे ? 

मुश्किल का ये दौर है
कल निकल जायेगा ,
मगर हम राह जो चला था,
वो कल जरूर याद आएगा ।

ऐसा क्या किया था ?
जिसकी सजा 
मुझको मिल रही है ?
इससे अच्छी तो
जिंदगी पहले चल रही थी ।

न जाने जिंदगी में दर्द का
ये कैसा सैलाब आया है ?
ये कैसी जिंदगी है
जहाँ पर खुशियाँ
आँसू का उपहार है ?
सच्चाई ये
जीवन का तिरस्कार है ।

इतने तो कभी हम बुरे नही थे
जिसकी हमको ये सजा मिली 
ये ईश्वर ! 
तुम मुझसे क्या चाहते हो ?

नेक इरादा ,सत्य वचन
मधुर वाणी से चले ,
कर्म भी इतने बुरे नहीं थे 
जितनी ये सजा दी !!

भलाई का ये अपमान 
क्या भला है ईश्वर ?
सोचा न था 
कभी मेरे साथ ऐसा होगा ?
जो बंधन वंदन था 
उसने साफ़ दर्पण होगा ??

मंजिल थी सफ़र था 
क्यों राह पर भटक गये ?
चलना ही नहीं था तो 
क्यों सफ़र में निकले थे ?

कहीं सपने देखे थे 
वो आज टूट गये ।
दिल पर जो चोट लगी 
उनसे ये रिश्ते-बंधन भी 
अब शायद छूट गये ।।

-- मोहित जागेटिया

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