कभी सोचा नहीं था
जिंदगी में मेरे भी
ऐसे दिन आएंगे ?
कभी सोचा नहीं था
वो ऐसे बदल जाएंगे ?
बीच राह में सफ़र
छोड़ कर जाएंगे ?
मुश्किल का ये दौर है
कल निकल जायेगा ,
मगर हम राह जो चला था,
वो कल जरूर याद आएगा ।
ऐसा क्या किया था ?
जिसकी सजा
मुझको मिल रही है ?
इससे अच्छी तो
जिंदगी पहले चल रही थी ।
न जाने जिंदगी में दर्द का
ये कैसा सैलाब आया है ?
ये कैसी जिंदगी है
जहाँ पर खुशियाँ
आँसू का उपहार है ?
सच्चाई ये
जीवन का तिरस्कार है ।
इतने तो कभी हम बुरे नही थे
जिसकी हमको ये सजा मिली
ये ईश्वर !
तुम मुझसे क्या चाहते हो ?
नेक इरादा ,सत्य वचन
मधुर वाणी से चले ,
कर्म भी इतने बुरे नहीं थे
जितनी ये सजा दी !!
भलाई का ये अपमान
क्या भला है ईश्वर ?
सोचा न था
कभी मेरे साथ ऐसा होगा ?
जो बंधन वंदन था
उसने साफ़ दर्पण होगा ??
मंजिल थी सफ़र था
क्यों राह पर भटक गये ?
चलना ही नहीं था तो
क्यों सफ़र में निकले थे ?
कहीं सपने देखे थे
वो आज टूट गये ।
दिल पर जो चोट लगी
उनसे ये रिश्ते-बंधन भी
अब शायद छूट गये ।।
-- मोहित जागेटिया
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