Friday, December 28, 2018

हालात से बदतर

हालात है बदतर हालात मिलते है।
हालात देख कर दिल भी ये जलते है।।
हालात का ही ये तो सब पर असर है।
हालात आज मजबूरी का ये घर है।।
देश को देख कर ये आँखे रोती है।
सर्दी को कैसे ये आँखे सोती है।।
कभी तो  खुद का अपना मकान मिलेगा।
खुल कर जीने का कब अरमान मिलेगा।।
जैसे है हमेशा हाल में जीते है।
इनके पास कुछ नही बस दुख को सीते है।।
मोहित जागेटिया

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