Thursday, December 27, 2018

तुमको अपना माना

तुमको इतना चाहा अपना माना।
मगर तुमको ऐसा तो नही जाना।।
सारी आशायें तुमने वो तोड़ी।
रिश्तों से तुमने हम से जोड़ी।।
मुझे अभी तक नही समझ पाए हो।
मेरे बुलाने पर नही आये हो।।
तेरे ना का दर्द कितना हो रहा ।
जो में तो अभी तक भी में रो रहा।।
मेरे प्यार का सारा विश्वास थी
धड़कन में धड़कती तुम वो सास थी।।
मैं तड़प रहा हूँ विरह वेदना में
तेरी आग जल रहा हूँ देखना में।।
मोहित

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