भारत माँ का आज सिपाही हूँ,
सीमा पर गर्मी सर्दी सहता हूँ।
कितने भी आयें सितम देश पर,
हर पल सीमा पर में रहता हूँ।
हर दुश्मन पर मेरी आँखे है,
इन आखों से देश पर नजर है।
फिक्र मुझे मेरे मुल्क की आज,
सरहद पर रहता ये ही घर है।।
कई परिंदे आ ना जायें अब
मैं सरहद की सुरक्षा में रहता हूँ।
इस मिट्टी से प्यारा और नही,
इस मुल्क की हिफाज़त करता हूँ।।
मैं देखता हूँ देश के अंदर,
तो मेरा देश लाचार लगता है।
सुरक्षा बल पर हमला करवाते ,
ये देख गद्दारों को दिल जलता है।
वो देश खाते देश में रहते ,
मगर किसी और का गुणगान करते।
हम भी भारत मे रहने वाले,
राष्ट भक्त का सदा सम्मान करते।।
मोहित जागेटिया
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