Sunday, December 23, 2018

गजल खुद की जमाने मे पहचान बना

        *"खुद की जमाने मे पहचान बना"*

हे इंसान खुद की जमाने मे खुद पहचान बना।
लोगों के दिल में बस कर अपनी तू मुस्कान बना।।

लोगों के दिल हित,जमानें मे खुद ऐसा काम कर
उस काम से तू लोगों के दिल पर इक निशान बना।।

हर रास्ते ऐसे हो जहाँ सफर कभी रुके नही
मंजिल पर चल तू मंजिल को खुद आसान बना।।

कर नेक काम इस संसार मे गलत किसका होना।
ना बनो खुद भगवान दिल मे ऐसा अरमान बना।।

रख खुद अपने हौसले और जज्बात पर भरोसा,
मिट्टी से उठ खुद आज आसमान तक उड़ान बना।।

खिल जाएं दिल की कलिया हर चेहरा मुस्कराएं
इस मिट्टी की महक आयें खुद को बागवान बना।।
✍✍
मोहित जागेटिया
भीलवाड़ा,राज.

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