श्रृंगार
तेरे नयन कमल है तेरा दिल उपवन है।
ये रूप अदा तेरी आज खिलता सुमन है।।
ये होटों पर छाई वह भोर आज लाली।
तेरी सुंदर सूरत रूप की तू निराली।।
नेह देह में रहती तुम्हारे कोमलता ।
हिरनी सी तुम्हारी रूह अदा चंचलता।।
आज तेरा प्यार ही मेरा सो श्रृंगार है।
हर पल तेरी मुस्कान ही मेरा प्यार है।।
हर रूप से अलग रूप तेरा मनोहर है
तेरे रूप पर मेरे प्राण न्यौछावर है।
मधुर मधुर स्वर गूंजे वो तेरी है वाणी
सपनों को सवार दे बन जा मेरी रानी।
मोहित जागेटिया
No comments:
Post a Comment