बेटियां
वो घर खुश नसीब जिस घर मे आती है बेटियां।
अपनी यादों को कभी छोड़ जाती है बेटियां।।
माता पिता की शान ही कहलाती है बेटियां।
ये दो घर आंगन की रस्म निभाती है बेटियां।।
हर घर आंगन को रोज ही सजाती है बेटियां।
ये अपने घर से दूर चली जाती है बेटियां।।
ये रक्षा बंधन का त्यौहार होती है बेटियां।
कभी घर लक्ष्मी के रूप में आती है बेटियां।।
हर घर मे सुख शांति का कभी अहसास होती है
जिस घर को घर से परिवार बनाती है बेटियां।।
ये दो घरों के कुल की लाज रखती है बेटियां।
सभी रिश्तों से ये घर को सजाती है बेटियां।।
अब तो हर दुख दर्द में काम आती है बेटियां।
हम कमजोर न हो हौसला बढ़ाती है बेटियां।।
अब तुम कभी भी बेटियां को कमजोर मत समझों।
अब तो ये आकाश को चूम आती है बेटियां।।
अब बेटी हर क्षेत्र में भी भारत का मान बड़ाती।
आज तिरंगे को जग में लहराती है बेटियां।।
कभी माँ, बहिन,पत्नी बन जाती है ये बेटियां
बेटी को न मारो दुनिया बनाती है बेटियां।।
मोहित जागेटिया
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