Monday, March 25, 2019

सागर

सागर
सागर की लहरों की तरह
जीवन भी उथल पुथल करता
ये जीवन भी कभी ऊपर उठता
कभी नीछे गिरता।।
बाधाएं आती आशाएं जीवन के
संगम को जोड़ती।
कितना जीवन फैला है लहरों के बीच
जिसका पता नही है।हर लहर कुछ नया सिखाती
सागर के निर्मल पानी की तरह
जीवन भी स्वच्छ रहें ,विसंगतियां दूर रहें।
आयें कोई बुराई तो हिम्मत की लहर से
जिंदगी के किनारे फेक दे।
सागर की तरह जीवन के अंदर भी कही
रत्न पड़े हुए है।
खुशियों के हीरे मोती मेहनत और प्रेम से ढूंढे।
मोहित जागेटिया

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