प्रेम की भाषा हो प्रेम की बोली हो।
इस बार हमारी ऐसी ही होली हो।।
चंचल मन की तन्हाई मिट जायें।
ऐसा काम करें सबके मन को भायें।।
फागुन की मस्ती रंग गुलाल उड़ाये।
हम सब अब खेले होली रंग लगाये।।
गिले शिकवे मिटा सबको गले लगाये।
हम सब ये होली का त्यौहार मनाये।।
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