Tuesday, October 23, 2018

शरद पर्णिमा


चाँद  की  चाँदनी  होगी  बरसेगी अमृत की धार।
ये निशा खिल जाएगी चाँद करेगा सोलह श्रृंगार।
आज  की  रात  चाँदनी की सामने होगा ये रास,
रास  रचाने  कान्हा  आएंगे  हर  गोपी  के  द्वार।।
मोहित

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