चाँद की चाँदनी होगी बरसेगी अमृत की धार। ये निशा खिल जाएगी चाँद करेगा सोलह श्रृंगार। आज की रात चाँदनी की सामने होगा ये रास, रास रचाने कान्हा आएंगे हर गोपी के द्वार।। मोहित
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