वतन से खूब सूरत और कोई चमन नही है। सभ्यता,संस्कारों वाला ऐसा अमन नही है। जिसकी फिजाओं में तिरंगे की महक आती है इस वतन से प्यारा मेरा कोई वतन नही है।। मोहित
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