Wednesday, October 17, 2018

भाग्य,मुकद्दर,किस्मत


मैं भाग्य की लहरों पर कभी किस्मत लिख दूँ।
जो  नसीब  में  है  उसको  ही  चाहत लिख दूँ।
जिनकी  कृपा  से  नसीब  बदल  जाए  आज,
मैं  तो  उस  ईश्वर  की  कभी इबाबत लिख दूँ।।

में  उसका  हूँ  वो  मेरी  ये  तो  किस्मत  है।
एक  दूजे  की  हम  दोनु  अब ये दौलत है।
मेरी  जिंदगी  का  हर क्षण क्षण वो बदल दे,
में  उसकी   चाहत   वो   मेरी  मोहब्बत  है।

मेरे  नसीब  में वो  नही  उस  का  प्यार है।
ये   प्यार  की  जीत  नही  उसकी  हार  है।
मेरा  हर   सपना   टूटा   और   अधूरा  है,
मेरी   तकदीर   से   टूटा   ये   मुकद्दर   है ।।
मोहित

No comments:

Post a Comment