Sunday, February 3, 2019

बसंत गीत

    "बसंत गीत"
भंवरे भी गुनगुना रहें
कोयल पपिया बोल रही है
अब ये मौसम भी बदल रहा है
लग रहा है ये बसंत का मधु मास है।।
खेतों में फसल पक रही है
सरसों के पीलें फूल खिल रहें है
पेडों से पत्ते अब गिर रहें
लग रहा है ये बसंत का मधु मास है।।
कही धूल उड़ रही है
आंधी आ रही,शीत जा रही है
अब कलिया,फूल खिल रहें है
लग रहा है ये बसंत का मधु मास है।।
ये भू धरा सुगन्धित गंध से महक रही
पंछी,चिड़िया गगन में चहक रही है
अलौकिक आनंद अनोखी छटा हो रही
लग रहा है ये बसंत का मधु मास।।
प्रिय प्रितमा की मन भावना
विरह व्याकुल हो रही।
ये मुधर मिलन का मधु मास है
लग रहा है ये बसंत का मधु मास है।।
मोहित जागेटिया
भीलवाड़ा राज.

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