(मां) कुण्डलिया छंद
1
मां सबकी भगवान है,मां से हर इंसान ।
मां ही पूजा है कभी,मां तो है वरदान।।
मां तो है वरदान,मां ही प्यार दुलार है।
मां ही मेरी जान,मां जीवन का सार है।।
मिलता मां से ज्ञान,कही पूजा है जबकी।
होता मां से मान,भगवान है मां सबकी।।
2
मां ममता है दया है,मां ही चारों धाम।
मां हैं पूजा वंदना ,मां से सबके काम।।
मां से सबके काम,मां से होता दिन रात।
होता मां का प्यार, उससे टलती हर घात।।
भरा प्रेम वात्सल्य ,दुख दर्द की समता है।
मां श्रद्धा का फूल,मां प्यार की ममता है।।
(मां) कुण्डलिया छंद
1
मां सबकी भगवान है,मां से हर इंसान ।
मां ही पूजा है कभी,मां तो है वरदान।।
मां तो है वरदान, प्यार दुलार है माता।
मां ही मेरी जान, जीव का दान विधाता।
मिलता मां से ज्ञान,करें पूजा ज्यों रबकी।
होता मां से मान,भगवान है मां सबकी।।
2
मां ममता है दया है,मां ही चारों धाम।
मां हैं पूजा वंदना ,मां से सबके काम।।
मां से सबके काम,उतारे अपनी नजरें।
होता मां का प्यार, टले हैं उससे खतरे।
भरा प्रेम वात्सल्य ,दर्द दुख की समता है।
मां श्रद्धा का फूल,प्यार ही माँ ममता है।।
मोहित जागेटिया
भीलवाड़ा राज✍
कुछ संशोधन किया है
🙏🙏
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