श्वास श्वास लेने में दिकत हो रही
ये हवा हर पल दूषित हो रही
कैसे जिएंगे अब हम।।
दिनों दिन घट रहें पेड़ पौधे
दिनों दिन कट रहे पहाड़ पर्वत
नदियों में खनन और दूषित हो रही
कैसे जिएंगे अब हम।।
पैट्रोल डीजल का उपयोग बड़ रहा
फेक्ट्रियो से धुआं निकल रहा
ये वातावरण सारा का सारा दूषित हो रहा
कैसे जिएंगे अब हम।।
बारिश कम हो रही
गर्मी की तपन बड़ रही
अब मौसम भी प्रतिकूल रहता है
कैसे जिएंगे अब हम।।
इस पर्यावरण को अब बचाना होगा
हर इंसान को पेड़ लगाना होगा
दूषित हो जिस से ये धरती,हवा,जल,नदियां
अब उनसे हम को बचाना होगा
पर्यावरण का पाठ सबको पढ़ाना होगा
नही तो अब कैसे जिएंगे अब हम।।
मोहित जागेटिया
Tuesday, June 4, 2019
पर्यावरण दिवस पर
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