Friday, June 7, 2019

ट्विंकल

एक मासूम सी वो कली थी
जिसको खिलने भी न दिया
बेटी थी वो सबकी
उसको आगे बढ़ने भी न दिया।।

क्या कसूर था
उस मासूम कली का,
जो फूल भी न बन पाई
उसको दरिंदों ने मसल दिया।।

नन्हें- नन्हें कदम दुनिया में पड़े थे
उन कदमों को आगे बढ़ने नहीं दिया
जो सपने देखे थे उन सपनों को कुचल दिया।।

जमाना कितना खराब है! बेटी!
तेरे होने से भी अब डर लगता है
मन भी अब विचलित होता है
तन भी रोता है
दर्द से भरी ऐसी घटना को देखकर
सबका रूह काँप जाता है।

बेटी तुम तो मासूम कली थी
अभी तो तुमने दुनिया भी नहीं देखी थी
तुम्हारी मुस्कान को देख कर तुम पर
शैतानों की नजर पड़ गई।
लहू के घाव भर दिया
हैवानियत इतनी ज्यादा क्रूर थी
तुमको खिलने से पहले ही कुचल दिया।।
मोहित जागेटिया

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