Sunday, June 2, 2019

गर्मी ,,,,तपती धरती


गर्मी का वार हो रहा है
पारा 50 से भी पार हो रहा है
लू के थपेड़े पड़ रहे
बड़ रही गर्मी तप रही धरती।।
भानु की आग से जल रही धरती।
पेड़ पौधों की कमी खल रही
तपती धरती से पेड़े पौधे भी जल रहें
बदलतें मौसम की ये मार पड़ रही।
बीमारी बड़ रही,आँखे,वदन जल रहा
प्यास बड़ रही,होंठ सुख रहें
नीर की कमी खल रही।
ये तपती धरती बारिश के लिए
तरस रही,तपती धरती से सृष्टि जल रही।
इस तपन से बचने के लिए
ज्यादा से ज्यादा पेड़ लगाने होंगे।
पानी को बचाना होगा।
मोहित जागेटिया
भीलवाड़ा राज.

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