Wednesday, June 12, 2019

मुक्तक

                 (1)
रोज भ्रमण के लियें घर से जाता हूँ।
तन मन को शांत और सुकून पाता हूँ।
मैं रोज सुबह शाम भ्रमण पर निकलता ,
मैं इस तन मन को स्वस्थ भी बनाता हूँ।।
      
                 (2)
भ्रमण करने से जीवन सुंदर बनता है।
ये तन मन हमेशा खुद के साथ चलता है।
भ्रमण  से  कभी  नही  बीमारी  आती  है
भ्रमण से जीवन भी सुंदरता लगता है।।

3
दुश्मन को दुश्मन के घर मे मारेंगे।
जो लड़ेगा वो खेल में भी हारेंगे।
खुद पर भरोसा है खुद पर विश्वास है
जीते हैं,जितेंगे हम जीत जायेंगे।।
4
तुम्हें भी मेरे प्यार का अहसास हो जायें।
तुम्हें कितना चाहता हूँ विश्वास हो जायें।
मेरे दिल की मोहब्बत बस ये ही कहती आज,
में तुम्हारे पास तुम मेरे पास हो जायें।।
5
बाबा तुम से जो मैं मांगू वो देना तुम्हारी इच्छा।
मैं मांगू वो मेरी इच्छा न देना वही इच्छा अच्छा।
मेरे मन मन्दिर में तुम्हारे ही नाम का सब जाप हो,
बाबा बस तुम्हारी पूजा करू तुमसे न कोई सच्चा।।
6
बात  बात  पर  होती  हैं  हमारी  लड़ाई।
न जाने किस बात की हैं दिल पर रुसवाई।
भला क्या रखा है?मोहब्बत तो कुछ दिन की,
लड़ने  से  तेरी  न  मेरी  कोई  भलाई।।
मोहित जागेटिया

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