जब तुम दूर चली जाती
ये दिल भी अकेला होता है।
ये मन ही उन ख्वाबों में
अकेला खो जाता है।
उन यादों की गलियों में
ये दिल बार बार जाता है
तुम कही मिल जाहो
तुम को ये ढूंढता है।
कितने दूर चले हो तुम
ये मन भी अकेला हो गया है
किसी की किसी भी बात पर
अब मेरा मन नही लगता है।
उलझा है उन यादों में
कैसे सुलझा हूँ अब तुम
आ जाहो।
हर बात में तेरा अहसास छुपा है
ये दिल अब तुम्हें पुकार रहा है।
बस अब तुम आ जाहो।
तुम्हारे बिना दिल भी मेरा अकेला है।।
मोहित जागेटिया
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