गज़ल
लोगों के प्यार ने हमें सिखाया बहुत है।
अपनों के वार ने हमें बड़ाया बहुत है।
हम उन किताबों से जितना सिख नही पाएं
पर जीवन की किताब ने पढ़ाया बहुत है।।
दुश्मन की हर घात को दिल पर सहते रहें
प्रेम के शब्द से रिश्ता निभाया बहुत है।।
कभी चल रहें थे कामयाबी के शिखर पर
हमको जालिम दुनिया ने दबाया बहुत है ।।
पैसे की दौलत नही प्यार की दौलत ही
हमने प्रेम का धन आज कमाया बहुत है।
प्रेम की दौलत से भरा है ये वो सागर
इस प्रेम की शोहरत को लुटाया बहुत है।
मोहित जागेटिया
भीलवाड़ा राज.
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