गुलशन
महका महका वो ये गुलशन है।
जहाँ फूल खिल जायें वो मन है।
जहाँ फूल खिलते खुशबू आती,
मेरा दिल का आंगन उपवन है।।
गंध की फिजाओ में बहार है।
प्यार की इस गुलशन में धार है।
इस प्रेम की वर्षा से महकता ,
जीवन सबका आज हर बार है।।
रिश्तों का प्यारा ये आंगन है।
कुछ काटो का भी ये दामन है।
जीवन की लता लता खिल जायें,
मन भी महके वो ये गुलशन है।
मोहित जागेटिया
भीलवाड़ा राज.
No comments:
Post a Comment