Wednesday, May 15, 2019

लेख राजनीति में भाषा की मर्यादा होनी चाहिए

     "राजनीति में भाषा की मर्यादा होनी चाहिए"

राजनीति में आज कल बोल चाल बहुत निचले स्तर पर आ गई है।विरोधी एक दूसरे को मुद्दे को भुला कर निजी स्तर पर हमला करते है ।ये अच्छा संकेत नही आने वाले समय के लिए।क्योंकि हमारे भारत देश मे हर वर्ष कहि ना कहि पर चूनाव होते रहते है।
राजनेता को जनता के मुद्दे चुनाव में रखने चाहिए जिससे जनता को फायदा मिल सके।जो मुद्दे जनता से जुड़े हो उनको ही चुनाव प्रचार में रखने चाहिए।लेकिन आज कल हर तरह के नेता एक दूसरे को गालियां देते है।एक दूसरे को कोसते है।आज कल राजनेता एक दूसरे को जातिवाद में या धर्म के नाम मे बाट कर वोट लेते है।
विरोधी हो या सत्ता पक्ष दोनु ही अपनी मर्यादा को भूल रहें है।जिस प्रकार उनको अपना फर्ज निभाना चाहिए ।वो आज कल किसी भी दल के नेता अपना फर्ज नही निभा पा रहे है ।एक राजनेता का फर्ज है चुनाव या चुनाव के बाद वो जनता के दर्द की हर आवाज को उठायें।और जितना फायदा जनता का कर सके उतना करना चाहिए।
लेकिन अभी जो लोकसभा चुनाव का माहौल दे कर ऐसा लग रहा है ।ये चुनाव निजी हमलों के दम पर ही हो रहा है।
कौन किसी को जाति को गाली दे रहा तो कोई किसी को चोर कह रहा है।कोई हिन्दू में या कोई मुस्लिम में बाट रहा है।कोई किसी के पिता तो कोई किसी को बहुत बूरी बूरी गालियां दे रहा है।हर राजनेता को समझना चाहिए ।हम जनता की सेवा के लिए आये है।जनता के मुद्दे ले कर आये है।जनता के मुद्दे ही चुनाव में होने चाहिए।
अगर ऐसे ही राजनीति का स्तर रहा तो।भविष्य की राजनीति नीति हमलों से भर जाएगी और जनता के मुद्दे चुनाव से मिट जाएंगे।
हर पार्टी और हर राजनेता को अपनी पार्टी और अपना फर्ज समझना चाहिए ।आने वाले समय के लिए शुद्ध राजनीति के लिए सबसे पहले भाषा का स्तर सुधारना चाहिए।इस से देश का और जनता का ही भला होगा।
चुनाव आयोग को भी ऐसे राजनेता पर कठोर कारवाई करनी चाहिए जो राजनेता शब्दो की मर्यादा नही रख सकते है।जो राजनेता गलत शब्दों का प्रयाग करता है उनके चुनाव लड़ने पर रोक लगनी चाहिए।।जिस पार्टी का नेता गलत बोलता हो उस पर उसकी पार्टी की भी कारवाई करनी चाहिए।तब जा कर राजनीति में तोड़ा बहुत सुधार हो पायेगा।

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