Tuesday, May 28, 2019

पिता


                     पिता
पिता की खुशबू से मेरी खुशबू निकलती है।
पिता  से ही मेरी सुबह और शाम ढलती है।
हर  सपनों  की  हर इच्छा को पूरा करते वो,
पिता  की दुआ  हमेशा  मेरे  साथ चलती है।।

जो खुद भूखे रह कर कभी हमको खिलाया है।
कैसे आगें बड़े हमको चलना सिखाया है।
जिनकी शोहरत से हमारा मान सम्मान है,
उस पिता का आशीर्वाद ही छत्र छाया है।

पिता से ही परिवार में संस्कारों की  खान है।
पिता से ही सन्तान को खुद पर अभिमान है।
जिनकी अंगुली पकड़ के हम चलना सीखें कभी,
आज वही पिता दुनिया मे हमारी पहचान है।

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