Wednesday, May 22, 2019

तुम्हारा प्यार का श्रृंगार लिखता हूँ

तुम्हारे प्यार का मैं श्रृंगार लिखता हूँ।
तुम्हारी प्रीत को मैं हर बार लिखता हूँ।।
मैं जानता हूँ मैं मानता हूँ ये सब तो,
इसलिए तुम पर मेरा अधिकार लिखता हूँ।1

मेरे प्यार की तुम मधुर मधुर वो पीर हो।
तुम वेदना का आँखों से बहता नीर हो,
दिल के भावों से भरी तस्वीर हो तुम तो,
स्नेह के रिश्तों के बंधन की जंजीर हो।2

इस चंचल दिल मे कोमल भाव उमड़ता है l
कभी  तुम्हारी  आस  में  ये दिल पलता है।
कभी  तन्हा  होता  हूँ  तुम्हारी  याद  में,
तुम्हारा  नाम  ही  दिल  से  निकलता है।3

मोहित जागेटिया

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