मिली जो चोट देश को अगर
उसे भुलाया जायेगा।
फैलते हुए भष्टाचार को
ना रुकाया जायेगा ।
देश बर्बाद हो जायेगा
हम देखते ही रहेगे।
हम से अगर न धरती माँ का
कर्ज चुकाया जायेगा ।
। मोहित ।
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