रिश्तो की दुनिया को रिश्तो से सजाया है।
रिश्तों को सभी ने परिवार से बनाया है।
परिवार ने हमको साथ चलना सिखाया है।
माँ बाप ने तो रिश्तो का फ़र्ज निभाया है।
घर ,आँगन,परिवार में खुशियां जो मिलती है।
भाई बहिन के रिश्तों से दुनिया खिलती है।
रिश्तो को तो दादा -दादी ने सजाया है,
अच्छे संस्कारों से आज दुनिया चलती है।
उस घर में हमेशा ही तो खुशबू आती है।
जिस घर में बहू को बेटी समझी जाती है।
वो तो आँगन भी हमेशा खिलता महकता है
जिस घर में नारी रिश्ता को निभाती है।
आज भाई भाई में वो प्यार नही मिलता ।
हँसता खेलता वो अब परिवार नही मिलता।
आज दूर चले गये लोग अपने रिश्तों से,
अब हमारी संस्क्रति का संस्कार नही मिलता।
मोहित जागेटिया
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