Wednesday, January 25, 2017

गुरु वंदना

हे गुरुवर तुम तो प्राणों से प्यारे ।
         मेरे दिल के तुम ही तो दुल्हारे ।
         जब दुनिया से हम तो अब हार गये,
         हारी जिंदगी को तुम ही सवारे।
   तुम तो रात के अँधेरे में दिन का प्रकाश हो।
   हर नई सुबह का तुम तो वैसा नया आभास हो ।
            तुम मेरी पूजा और वन्दना हो ।
            तुम मेरी हर और आराधना हो।
            तुम से बड़ा मेरा कोई नही है,
            तुम वही मेरी हकिगत कल्पना हो।
नाम आपका दीपक है दीपक बन के जलते हो ।
शिव के बतायें मार्ग पर आप हमेशा चलते हो ।
            गुरुवर तुम तो जटा धारी हो ।
           आप ही शिव के अवतारी हो ।
            निलकंठ महादेव में रहते,
           शिव के तुम ही तो पुजारी हो ।
जय हो हमेशा गुरुवर आपकी नमन हो हमारा।
हम आते आपकी चरणों में वंदन हो हमारा।
               मोहित जागेटिया .

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