मेरा क्या कसूर जो बचपन में तुम मुझे मार देते हो ।
में भी तो तुम्हारी हूँ क्यों नही मुझ पर प्यार देते हो ।
बचपन में लड़ती हूँ,जवानी में भी अब बहुत डरती हूँ,
बनती हूँ दुल्हन तो मुझ पर सभी खुशिया वार देते हो । मोहित
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