Friday, January 27, 2017

मंगलमय हो नया सवेरा कविता

नई भोर नया सवेरा साथ लाई ।
नई अब आशा की किरण जो आई।
🌞🌞🌞🌞🌞🌞🌞
कभी पुरानी वाली अब बात गई ।
अभी पुरानी वाली तो रात गई ।
💐💐💐💐💐💐💐
पंछी भी अब गीत गाने लगे ।
दाने लाने अब दूर जाने लगे ।
🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏
गवाल भी अब गाये चराने चले ।
मजदूर भी पसीना बहाने चले ।
👏👏👏👏👏👏👏
नया सवेरा आया तुम भी जागो।
दुनिया की दौड़ में तुम भी भागो।
🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺
अपने कार्य में तुम भी आगे चलो।
अब नही तुम भी किसी और से जलो।
☀☀☀☀☀☀☀
मंगलमय हो नया सवेरा तेरा ।
मंगलमय हो नया सवेरा मेरा ।
👏👏👏👏👏👏👏
           मोहित

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