घनाक्षरी छंद
बाबा नन्द का वो लाला ,गोकुल का था वो ग्वाला
देवकी का था वो छोरा , वो मथुरा में आया ।
मुरली का था दीवाना,मोर मुकट वो धारी
जिसने बंसी बजाके ,गोपियों को नचाया ।
मटकी जिसने फोड़ी ,माखन जिसने खाया
हर घर में चोरी की,राधा दिल चुराया।
गीता उपदेस दिया ,ज्ञान का पाठ पढ़ाया
जिसने तो दुनिया को, प्रेम पाठ सिखाया।
मोहित
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