जय गणेश देवा ॥
प्रथम पूज्य गणपति को मेरा वन्दन है।
शिव शंकर पार्वती का जो वह नंदन है ।
वो तो गजानन है चार भुजा धारी है ।
हाथ में डांडिया मूषक की सवारी है।
आप तो देवा ऋद्धि सिद्धि के दाता हो ।
हमारे तुम ही तो वह भाग्य विधाता हो।
हम सबकी बाधा वह विघ्न हरता तुम हो।
हम सभी के पालन पोषन करता तुम हो।
आप की जो भी करता है सच्ची सेवा।
उसको हमेशा मिलती है अच्छी मेवा ।
मोहित जागेटिया
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