Wednesday, January 25, 2017

भारत कैसे देश रहा है कविता

भारत केसा देश रहा है मेरा
संस्कारो का वेश रहा है मेरा।।
गंगा यमुना सरस्वती वो रहती
यहाँ नदिया बारह महीने बहती।
हर गाँव गाँव ये जो खुशहाली है
खेतों  में  लहराती हरियाली  है।

भारत केसा देश रहा है मेरा
संस्कारो का वेश रहा है मेरा।
ये तो ऋषियों,मुनियों की धरती है
यहाँ  वेद  पुराण  गीता  रहती  है।
यहाँ पत्थर पत्थर भगवान रहते
यहाँ पर तो शंकर भगवान रहते।

भारत केसा देश रहा है मेरा
संस्कारो का वेश रहा है मेरा।।
यहाँ हिंदू ,मुस्लिम,सिख ,इसाई है
हम सब आपस में तो सब भाई है।
सभी की अपनी अलग अलग वेश है
फिर भी एकता वाला ये देश है।

भारत केसा देश रहा है मेरा
संस्कारो का वेश रहा है मेरा।।
यहाँ चारों दिशा में चार धाम हैं
यहाँ बंशी वाले वो घनश्याम हैं।
कभी राधा भी कृष्ण दीवानी है
मीरा की भी तो एक कहानी है।

भारत केसा देश रहा है मेरा
संस्कारो का वेश रहा है मेरा।
बारह माह हर दिन ही त्योहार है
लोग हजार रहते फिर भी प्यार है।
ये तो हिंदुस्तान हमारी शान है
सबसे प्यारा ये तो हिन्दुस्थान है।
मोहित

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