सावन में नाचेगा तो मै मोर समझूगा । होगा अगर हो हला तो मै शोर समझूगा। जो बिन मांगे हमारा सब कुछ जो ले जाये , उसकी सराफत को आज मै चोर समझूगा। मोहित
No comments:
Post a Comment